भावनाओं के दरिया में .....





कहाँ हुआ गुम तू सजना
की अब बस मेरी ही आवाज है गूँजे
दिल में हुआ सूनापन इतना 


बेताब सी नजरें राहों पे टीकी
की जैसे तलाशती हो 

गुजरा हुआ कल अपना 

बेबस से लब ये मेरे सिये हुए
जैसे भावनाओं के दरिया में 

तलाशते हों शब्द अपना 

तुम्हें शायद इस बात का अहसास नहीं
जाते जाते ले गए संग 

तुम जीवन मेरा 

बुत बन कर खड़े रह गए हम यूँ ही
की अब तो न रहा अहसास 

अपनी ही धड़कन का

Comments

  1. awesome di...very nice.:)
    truly amazing!!

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  2. nice poetry miss ritz .. keep writing .. (www.coffeefumes.com)

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