गीली रेत पर ....
टहल रहे थे अकेले गीली रेत पर समुंदर के किनारे दिन भर के थके पंक्षी लौट रहे थे अपने घर को सारे समुंदर की लहरें उछल उछल कर दिखाती अपना अभिमान जैसे की चाँद की चादँनी में गुम हो जायेगा उसका गुमान दिख रहे थे ढलते सूरज से रंगते झितिज के किनारे सूरज और चाँद ने किया था कभी एक दूजे से वादा इंतजार करेगा सूरज हमेशा ढलने से पहले चाँद का और चाँद को दे जायेगा सितारों से सजा रंगीला आसमान चांदनी बिखर सके अँधेरी रात में यही है सूरज का अरमान इसिलए ढलता सूरज ले जाता है उजाला समेट अपने साथ चाँद जला सारी रात तो सुबह सूरज लाल पड़ गया सूरज जला सारा दिन तो रात के अंधेरों में चाँद जगमगा गया