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Showing posts from March, 2011

यही मेरी श्रधांजलि ...

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आपसे मेरा नाता पुराना था कुछ जाना पहचाना था न रही आप अब हमारे बीच इस कमी का हम सबको अहसास है खोया है आज वो पेड पुराना जिसमें अब सिर्फ यादें साथ हैं रह गयीं हैं सिर्फ उसकी अधूरी शाखें परमात्मा में विलीन आपकी आत्मा हो मिले आपके मन को सुख शांती अश्रुओं के फूल समर्पित आपको यही मेरी श्रधांजलि मेरी दादी माँ को समर्पित उनकी कमी हमेशा हमारे बीच रहेगी

मेरी मंजिल की राह ..

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मेरा दिल ले जाए जहाँ बस वहीँ मंजिल मेरी मिलते रहेंगे इस सफ़र में हर मोड़ पे हमसफ़र कई हर किस को मंजिल की तलाश और रास्तों की कमी नहीं चलते चलते जो हो जाए साँझ कभी कहीं थामना पड़ेगा एक रात को बस उसी मोड़ पे वहीँ ये ठहराव सिर्फ एक पल का है जिंदगी कभी थमती नहीं लगता है जैसे कभी मिलेगी मंजिल मुझे खुद में इसलिए खुद को समझना ही मेरी मंजिल की राह है इस राह में चलने वाले हमसफ़र की तलाश है

कुछ अधूरे सपने …..

सुबह सुबह से शोर गुल … नींद टूट गयी और बस हो गया दिन शुर .... वही रोज की भागदौड़ , रास्ते चलते भागते लोग … भूल चुके जिंदगी का मतलब … एक जोर का धक्का लगा और में गिर पड़ी … उठ के देखा एक नयी जगह , क्या कर रही हूँ यहाँ ?? कैसे आई ?? ये तो वही जगह है जो मैं रोज सपनों में देखा करती हूँ ….वही समन्दर का किनारा और वही पेड जिसके नीचे मैं बैठ कर ख्यालों में खो जाया करती थी , वही ढलती सुनहरी शाम रंगों से सजी … एक एक कर के सारे सपने याद आने लगे …कुछ अधूरे भूले सपने जिनपे बीते वक़्त की रेत पड चुकी थी . भागते भागते भूल ही गयी की जाना कहाँ है , किसलिए इतना भाग रही हूँ ,उस दौड़ में शामिल हूँ जिसमें लोग बिन मंजिल भागते जाते हैं… "कोई न जीतता है और न कोई हारता है क्यों की ये दौड़ कभी थमती नहीं है …" एक तेज हवा का झोंका मेरे गालों को छूकर मुझे ख्यालों की नींद से जगा गया…. जिंदगी की भागदौड़ में कभी इस शीतल पवन का अहसास न हुआ … हवा ने जगाया तब भी था मुझे पर मुझे ही इस शीतल पवन को महसूस करने का वकत और होश नहीं था , जिंदगी जीने का जोश नहीं था, दिल में उमंग नहीं थी या यूँ कहूं जिंदगी को में कभी जाना

इम्तिहान जिंदगी का ...

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न थमा कभी हाँथ तेरा न कभी गले लगाया पर जब भी साथ चले एक ही था हमारा साया मैं हैरान खड़ी निहारती रही उस साए को तब न समझ सकी की ऐसा आखिर हुआ क्यों आज जब गुजरती हूँ उन्ही गलियों से तन्हा अपने ही अधूरे साए का साथ है होता तेरे न होने का हर पल आहसास है होता ये भी एक इम्तिहान समझ जिंदगी का लड़ रही मेरी हर साँस अपने इस अधूरे जीवन के साथ मकसद जीने का वही जो तुने दिया है मुझे मुकदार मेरा की मैंने पाया भी और खोया भी तूझे अब तू ही बता मेरे रब्बा, क्या ये है तेरा करम मुझ पर या न जी सकूं एक पल सुकून से ये सजा की है मुक्कार्रार ये सवाल मेरा है क़र्ज़ तेरी खुदाई तेरी इबादात पर