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क्या इंसाफ है तेरा भी ऐ खुदा  अपने गुनाहों का जुर्माना पूछा था  देना था तो बैराग ही दे देता  क्यों बेवजह इश्क़ की राह थमा दी ?

डोर मेरी तेरे हाँथ

डोर मेरी तेरे हाँथ में जो है तु भी तो बंध गया मुझसे  छूट न पायेगी तुझसे ये डोर  कैसे करेगा खुद को दूर मुझसे  नाचती हूँ मैं तेरी थिरकन पे  मीरा तो नहीं पर मैं हूँ हीर तेरी  इश्क़ के रोग ने किया बावला  इसमें तेरा कोई कसूर नहीं  आग का मतलब जानकर अंगारो पे चलना मजबूरी मेरी