मेरी दुनियां मेरी माँ ........

जन्नत से दुनियाँ का दरवाजा खुला और हुआ इस जिंदगी का सफ़र शुरु बंद कर आँखे गिरे जन्नत से जब खोलीं आँखें दुनिया को मुस्कुराता पाया मेरी मुस्कराहट से उसकी आँखों को नम और मेरे रोने से उसे तड्पता पाया गोद में उसकी खुद को महफूज़ महसूस किया
जब चाह सोना उसे गुनगुनाता पाया सोचा ये कहाँ आ गए हैं हम जब पूछा खुदा से उस दुनियाँ का नाम मुस्कुरा कर खुदा ने इस दुनिया का नाम माँ बताया