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Showing posts from February, 2011

पास होने का अहसास क्यों है ?

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दूर जो हो तुम इतना फिर ये पास होने का अहसास क्यों है पास हो जो हर पल फिर ए नज़रों से उझल होने का आभास क्यों है हर एक बात से वाकिफ है ए दिल मेरा फिर इतने सवालात क्यों हैं एक बार ही सही जवाब तो दे दो मेरी अनकही बातों का दे सको तो दे दो हिस्साब उन अधूरी मुलाकातों का अकेली सिसकती सहमी सी अँधेरी काली काली रातों का काटा है जो वक़्त तेरी यादों के सहारे अब तक उन पलो में बीती मेरी हर एक मुश्किल साँसों का न रख सका हिसाब मेरा तो ए दिल इन सब बातों का मशरूफियत थी इंतनी इस दिल की न रहा होश इसे हर एक बीतती धडकन पे इसे हो रही थी जो मोह्हबात तुझसे

प्यार का इम्तिहान....

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पतझर में झड पेड़ों पे पत्ते नए आते हैं फिर क्यों इस जिंदगी से जो दूर चले जाते हैं वो कभी लौट कर वापस नहीं आते हैं इस दिल से उनकी यादें मिटाए नहीं मिटती हैं दिन तो बीत जाता है पर रातें काटे नहीं कटती हैं रात की तन्हाई और ख़ामोशी चुभती है जहन में बस हर पल एक ही ख्याल होता है हर आहट पे बस उनके आने का इंतज़ार होता है शायद यही तो प्यार का इम्तिहान होता है

अश्कों का हकदार ...

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दर्द -ए-तन्हाई का एहसास तब होता है जब कोई दिल के हर पल पास होता है दर्द -ए- जुदाई लफ़्ज़ों में बयां नहीं होती आँखों में झलकता हर पल ये अहसास होता है प्यार की दुनिया का तो दस्तूर है यही प्यार करने वाला सिर्फ अश्कों का हकदार होता है