पास होने का अहसास क्यों है ?
दूर जो हो तुम इतना फिर ये पास होने का अहसास क्यों है पास हो जो हर पल फिर ए नज़रों से उझल होने का आभास क्यों है हर एक बात से वाकिफ है ए दिल मेरा फिर इतने सवालात क्यों हैं एक बार ही सही जवाब तो दे दो मेरी अनकही बातों का दे सको तो दे दो हिस्साब उन अधूरी मुलाकातों का अकेली सिसकती सहमी सी अँधेरी काली काली रातों का काटा है जो वक़्त तेरी यादों के सहारे अब तक उन पलो में बीती मेरी हर एक मुश्किल साँसों का न रख सका हिसाब मेरा तो ए दिल इन सब बातों का मशरूफियत थी इंतनी इस दिल की न रहा होश इसे हर एक बीतती धडकन पे इसे हो रही थी जो मोह्हबात तुझसे