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गीली रेत पर ....

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टहल रहे थे अकेले गीली रेत पर  समुंदर के किनारे दिन भर के थके पंक्षी लौट रहे थे  अपने घर को सारे समुंदर की लहरें उछल उछल कर  दिखाती अपना अभिमान जैसे की चाँद की चादँनी में  गुम हो जायेगा उसका गुमान दिख रहे थे ढलते सूरज से  रंगते झितिज के किनारे सूरज और चाँद ने किया था  कभी एक दूजे से वादा इंतजार करेगा सूरज हमेशा  ढलने से पहले चाँद का और चाँद को दे जायेगा  सितारों से सजा रंगीला आसमान चांदनी बिखर सके अँधेरी रात में  यही है सूरज का अरमान इसिलए ढलता सूरज ले जाता है  उजाला समेट अपने साथ चाँद जला सारी रात  तो सुबह सूरज लाल पड़ गया सूरज जला सारा दिन तो  रात के अंधेरों में चाँद जगमगा गया

मेरी दुनियां मेरी माँ ........

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जन्नत से दुनियाँ का दरवाजा खुला और हुआ इस जिंदगी का सफ़र शुरु बंद कर आँखे गिरे जन्नत से जब खोलीं आँखें दुनिया को मुस्कुराता पाया मेरी मुस्कराहट से उसकी आँखों को नम और मेरे रोने से उसे तड्पता पाया गोद में उसकी खुद को महफूज़ महसूस किया जब चाह सोना उसे गुनगुनाता पाया सोचा ये कहाँ आ गए हैं हम जब पूछा खुदा से उस दुनियाँ का नाम मुस्कुरा कर खुदा ने इस दुनिया का नाम माँ बताया

दिल से दूर उन्हें जाने दो …….

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दिल को आज मेरे फिर खो जाने दो , नादान है ये इसे समझाने दो याद है आई उनकी आज फिर से , कुछ पल अकेले में बिताने दो कह दूं उनकी यादों को अलविदा , आज दिल से दूर उन्हें जाने दो आँखों में बाकी जो थोड़ी नमी , इन आँखों को आज भीग जाने दो

हर रिश्ते का नाम जरूरी नहीं ..

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--> तुझसे मिलने के बाद भी क्यों  करना होता है हर पल इंतज़ार मुझे क्यों इतना भी हक नहीं मिला   की कर सकूं जी भर के प्यार तुझे अब तक  न   खुदा   को   देनी   पडी     इस   रिश्ते   की   पहचान   मुझे क्यों दूं इस रिश्ते को नाम कोई  इस दुनिया की नहीं परवाह मुझे   -->