कुछ अधूरे सपने …..
सुबह सुबह से शोर गुल … नींद टूट गयी और बस हो गया दिन शुर .... वही रोज की भागदौड़ , रास्ते चलते भागते लोग … भूल चुके जिंदगी का मतलब … एक जोर का धक्का लगा और में गिर पड़ी …
उठ के देखा एक नयी जगह , क्या कर रही हूँ यहाँ ?? कैसे आई ?? ये तो वही जगह है जो मैं रोज सपनों में देखा करती हूँ ….वही समन्दर का किनारा और वही पेड जिसके नीचे मैं बैठ कर ख्यालों में खो जाया करती थी , वही ढलती सुनहरी शाम रंगों से सजी …
एक एक कर के सारे सपने याद आने लगे …कुछ अधूरे भूले सपने जिनपे बीते वक़्त की रेत पड चुकी थी . भागते भागते भूल ही गयी की जाना कहाँ है , किसलिए इतना भाग रही हूँ ,उस दौड़ में शामिल हूँ जिसमें लोग बिन मंजिल भागते जाते हैं… "कोई न जीतता है और न कोई हारता है क्यों की ये दौड़ कभी थमती नहीं है …"
एक तेज हवा का झोंका मेरे गालों को छूकर मुझे ख्यालों की नींद से जगा गया…. जिंदगी की भागदौड़ में कभी इस शीतल पवन का अहसास न हुआ … हवा ने जगाया तब भी था मुझे पर मुझे ही इस शीतल पवन को महसूस करने का वकत और होश नहीं था , जिंदगी जीने का जोश नहीं था, दिल में उमंग नहीं थी या यूँ कहूं जिंदगी को में कभी जाना नहीं था.
ये सब सोअच ही रही थी की एक मछली का झुण्ड दिख पड़ा , सोचा में भी उनके संग हो लूं और बस कूद पड़ी पानी में ….. शीतल जल और उसपे बिखरी चांदनी …शायद शब्दों में बयाँ नहीं होगा कैसा महसूस हुआ … पहले ये सब कभी महसूस नहीं हुआ था , सब कुछ नया और सुखद था शायद मैं अपने आप को खुश रखना और दिल से मुस्काना ही भूल गयी थी ..
एक अधूरा सपना जिंदगी को जीने का ,अपने आप में खोने का …. मंजिल की तलाश जो है बस यहीं कहीं मेरे आस पास….
उठो ........ कबसे आवाज लगा रही हूँ और तुम हो की सपनो में खोयी हो … प्रिया ने गुस्सा करते हुए कहा , नींद तो खुल गयी पर उन अधूरे सपनो पे पड़ी वक़्त की धुल भी हट गयी … हाँ ये मेरा ख्वाब ही था पर "कभी कभी ख्वाब भी जिंदगी को एक नया मकसद दे देते हैं ."
अब कभी न कभी तो ए अधूरा सपना पूरा होगा … कोई जाने या न जाने पर मुझे मंजिल का पता मालूम होगा.
कभी न कभी तो ये अधूरा सपना पूरा होगा………….
उठ के देखा एक नयी जगह , क्या कर रही हूँ यहाँ ?? कैसे आई ?? ये तो वही जगह है जो मैं रोज सपनों में देखा करती हूँ ….वही समन्दर का किनारा और वही पेड जिसके नीचे मैं बैठ कर ख्यालों में खो जाया करती थी , वही ढलती सुनहरी शाम रंगों से सजी …
एक एक कर के सारे सपने याद आने लगे …कुछ अधूरे भूले सपने जिनपे बीते वक़्त की रेत पड चुकी थी . भागते भागते भूल ही गयी की जाना कहाँ है , किसलिए इतना भाग रही हूँ ,उस दौड़ में शामिल हूँ जिसमें लोग बिन मंजिल भागते जाते हैं… "कोई न जीतता है और न कोई हारता है क्यों की ये दौड़ कभी थमती नहीं है …"
एक तेज हवा का झोंका मेरे गालों को छूकर मुझे ख्यालों की नींद से जगा गया…. जिंदगी की भागदौड़ में कभी इस शीतल पवन का अहसास न हुआ … हवा ने जगाया तब भी था मुझे पर मुझे ही इस शीतल पवन को महसूस करने का वकत और होश नहीं था , जिंदगी जीने का जोश नहीं था, दिल में उमंग नहीं थी या यूँ कहूं जिंदगी को में कभी जाना नहीं था.
ये सब सोअच ही रही थी की एक मछली का झुण्ड दिख पड़ा , सोचा में भी उनके संग हो लूं और बस कूद पड़ी पानी में ….. शीतल जल और उसपे बिखरी चांदनी …शायद शब्दों में बयाँ नहीं होगा कैसा महसूस हुआ … पहले ये सब कभी महसूस नहीं हुआ था , सब कुछ नया और सुखद था शायद मैं अपने आप को खुश रखना और दिल से मुस्काना ही भूल गयी थी ..
एक अधूरा सपना जिंदगी को जीने का ,अपने आप में खोने का …. मंजिल की तलाश जो है बस यहीं कहीं मेरे आस पास….
उठो ........ कबसे आवाज लगा रही हूँ और तुम हो की सपनो में खोयी हो … प्रिया ने गुस्सा करते हुए कहा , नींद तो खुल गयी पर उन अधूरे सपनो पे पड़ी वक़्त की धुल भी हट गयी … हाँ ये मेरा ख्वाब ही था पर "कभी कभी ख्वाब भी जिंदगी को एक नया मकसद दे देते हैं ."
अब कभी न कभी तो ए अधूरा सपना पूरा होगा … कोई जाने या न जाने पर मुझे मंजिल का पता मालूम होगा.
कभी न कभी तो ये अधूरा सपना पूरा होगा………….
"कभी न कभी तो ये अधूरा सपना पूरा होगा…………."
ReplyDeleteशुभकामनाएं
बहुत सुन्दर..होली की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDelete" भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" की तरफ से आप को तथा आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामना. यहाँ भी आयें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर अवश्य बने .साथ ही अपने सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ . हमारा पता है ... www.upkhabar.in
ReplyDeletebohot khubsoorat hai...
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