दरिया ने रुख मोड़ा नहीं...



दरिया ने कभी अपना रुख  
किसी से डर के मोड़ा नहीं

चट्टानो ने चाहा रोकना 
  जाने दिए जखम कितने

सागर से मिलने खातिर
  दरिया ने कभी बहना छोड़ा नहीं

तुझसे मोह्ब्त करके 
 मैं खुद से शर्मिंदा नहीं

दुनिया ने किया सितम 
  जाने दिए जखम कितने

पर तुझे चाहने से 
 खुद को कभी हमने रोका नहीं

तुझसे मिलने खातिर 
 बंदिशों में कभी खुद को जकड़ा नहीं

दरिया ने कभी अपना रुख 
किसी से डर के मोड़ा नहीं

Comments

  1. चट्टानो ने चाहा रोकना न जाने दिए जखम कितने
    सागर से मिलने खातिर दरिया ने कभी बहना छोड़ा नहीं
    ........bahut sundar ....

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

एक दुआ मेरी ...

यही मेरी श्रधांजलि ...

डोर मेरी तेरे हाँथ