हर लम्हा बिखरना सिमटना ...
एक लम्हा तेरी जुदाई का काफी है मुझे बिखेरने को
एक लम्हा तेरे साथ का काफी है मुझे समेंटने को
एक हैं हम तुम तो क्यों ये हर लम्हा बिखरान सिमटना
प्यार जो करते हो हमसे फिर क्यों ये हर पल का सताना
दिल है ये मेरा नाजुक इससे बार बार न आजमाना
रूठ गए जो न जाए कितने बरसों बाद होगा फिर आना
प्यार है जो ये पाया तो इसे संजोलो अपनी यादों में
की इन्ही यादों के सहारे कट जाएगा सदियों का सफ़र
की हर लम्हे बसा होगा तेरे मेरे प्यार का फ़साना
की इन्ही यादों के सहारे कट जाएगा सदियों का सफ़र
ReplyDeleteकी हर लम्हे बसा होगा तेरे मेरे प्यार का फ़साना
bahut sundar rachna.
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